जीवन के संग्राम में केवल वह ही विजय होता है जो अपने जीवन के challenges को face करना जानता है| आखिर जीवन की हर मुश्किलों को पार कर आगे कैसे बढ़ें? क्या आप भी इसी सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं ? रौशन नागर एक जीती जागती मिसाल हैं| रौशन नागर ने बचपन में ही एक हादसे में दोनों हाथ और पैर गँवा दिए| छोटी सी उम्र में इतने बड़े हादसे को पूरी हिम्मत के साथ झेला| रौशन ने अपनी नयी ज़िन्दगी को स्वीकारा और एक नयी शुरुवात करी| मुसीबतें बहुत आईं पर डट कर लगे रहे| इस जीवन में भी कुछ हटकर करने की ताकत रखते रौशन ने अपने कन्धों पे पैन बाँध कर लिखना सीखा और बिना किसी मदद के सभी परीक्षाओं में 1st आए| जीवन में कुछ कर जाने का जज़्बा लेके रौशन ने आगे बढ़ने का सोचा, disability के कारण सरकारी नौकरी का सपना तो टूट चूका था पर उन्होंने हिम्मत के साथ दूसरी नौकरी शुरू की जिसमें उन्हें अपनी disability के कारण कई दिक्कतें भी आईं| इसके बावजूद ना तो उनका होंसला टूटा ना हिम्मत, उन्होंने खुद का कार्य करने का सोचा और अपना institute शुरू किया|